#बोधकथा
एक बार बनारस में स्वामी विवेकानंद जी माँ दुर्गा जी के मंदिर से निकल रहे थे कि तभी वहां पहले से मौजूद बहुत सारे बंदरों ने उन्हें घेर लिया | वे उनसे प्रसाद छिनने के लिए उनके नजदीक आने लगे। अपने तरफ आते देख कर स्वामी स्वामी जी बहुत भयभीत हो गए | खुद को बचाने के लिए भागने लगे, पर वे बंदर तो पीछा छोड़ने को तैयार ही नहीं थे।
पास में खड़ा एक वृद्ध सन्यासी ये सब देख रहा था, उन्होंने स्वामी जी को रोका और कहा – रुको ! डरो मत, उनका सामना करो और देखों कि क्या होता है।
सन्यासी की बात सुनकर स्वामी जी में हिम्मत आ गई और तुरंत पलटे और बंदरों की तरफ बढ़ने लगे। तब उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब उनके सामना करने पर सभी बंदर भाग खड़े हुए थे। इस सलाह के लिए स्वामी जी ने बृद्ध संयासी को बहुत धन्यवाद दिया।
इस घटना से स्वामी जी को एक गंभीर शिक्षा मिली और कई सालों बाद उन्होंने एक सभा में इस घटना का जिक्र किया और कहा –
यदि तुम कभी किसी चीज से भयभीत हो, तो उससे भागों मत, पलटो और सामना करों।
वास्तव में, यदि हम अपने जीवन में आये समस्याओं का सामना करे तो यकीन मानिए बहुत सी समस्याओं का समाधान हो जायेगा |