विषय - जुदाई
दिनांक-26/06/2022
कोई अपना जब बिछड़ जाएं तो,
कितनी पीड़ा दिल को होती हैं।
मन भी विचलित रहता है,
और धड़कनें भी जैसे रोती है।।
पहले उनके मिलने पर हम तो,
एक पल की भी जुदाई नहीं सहते थे।
दिन बीतता था उनके साथ में रहकर,
और रात के सपने में भी वह रहते थे।।
रूठने मानने,हँसने रोने के साथ,
उनके साथ समय व्यतीत होता था।
पूरा दिन ही कब बीत जाता था,
और छोटा दिन होना हमें प्रतीत होता था।।
पता नहीं समय ने क्या करवट बदली,
पहले जैसा अब कुछ भी नहीं रहा।
जितनी तेजी से चढ़ा प्रेम था,
उतनी ही तेजी से जमीन पर गिरा।।
शायद उनके दिलों दिमाग पर,
कोई और अब छाने लगा था।
हमें अनदेखा करके वह तो,
किसी और के पास जाने लगा था।।
हम भी कितने नादान थे जो,
उनकी बेबफाई को समझ ही न सकें।
रह गए हम अब तन्हाइयों में,
उनकी जुदाई को अब हम सह न सकें।।
किरन झा मिश्री
-किरन झा मिश्री