"तुम कहो तो मैं तुम्हारे साथ चलता हूं , तुम्हारे घर तक।" ऋषभ ने उस अनजान लड़की से कहा ।
"नहीं मैं चली जाऊंगी ।" कहते हुए 'वो' वहां से चली गई और ऋषभ भी कुछ देर बाद पलट कर चलने लगा और तभी उसके दिमाग में कुछ खटका ,वो जिस ओर गई थी उधर तो कब्रिस्तान था फिर वो कहां गई । वो उसे देखने के लिए पीछे मुड़ा पर तब तक वो अपने 'घर' चली गई थी।