🙏🏼🙏🏼 मेरी सोच🙏🏼🙏🏼
सनातन धर्म में एक दिन नहीं होता है,
जो माता पिता के लिए विशेष हो।
सारे दिन ही पूज्यनीय होते है,
नहीं रहता उनके सम्मान में कि कोई भी दिन शेष हो।।
आजकल के तो युवाओं ने,
पाश्चात्य संस्कृति को अपना लिया है।
माता पिता को अकेला छोड़कर,
अपना घर अलग बसा लिया है।।
अलग रहने की इस चाहत में,
माता पिता से लोग दूर हो गए।
एक ही दिन सम्मान देने के लिए,
मदर्स डे और फादर्स डे कहने पर मजबूर हो गए।।
क्या इतनी सी संकुचित सोच से,
अपने संस्कारों को भुला देंगे।
अपनी इस छोटी सी सोच से,
बड़ों का सम्मान क्या भुला देंगे।।
संयुक्त परिवार में रहकर हम सब,
अपनों से स्नेह को पाते हैं।
गलत राह पर अगर चले भी जाएं,
तो बड़े ही सही राह दिखाते हैं।।
हर दिन ही माता पिता का साथ,
अपने बच्चों पर सदा बना रहे। बड़े होकर उनके भी बच्चे ,
उनको अपने से विरक्त न करें।।
मान सम्मान वो दें माता पिता को,
और सदैव ही उनका आशीर्वाद पायें।
कभी जरूरत नहीं होगी फादर्स डे, मदर्स डे मनाने की,
हर दिन ही उनसे स्नेह और आशीष पायें।।
अपनी संस्कृति और संस्कारों को,
पाश्चात्य संस्कृति से कभी मत मिलाना।
पाश्चात्य देशों में मां बाप से दूर रहते हैं बच्चे,
इस लिए ही वहां की संस्कृति है मदर्स डे और फादर्स डे मनाना।।
कृप्या सभी लोग इस पर विचार अवश्य करें 🙏🏼धन्यवाद🙏🏼
किरन झा मिश्री
-किरन झा मिश्री