शीर्षक : पिता दिवस पर
ढूँढेगी कल जब मुझे नजर तुम्हारी
भीगी पलकों में कुछ यादें होगी मेरी
वजूद न होगा फोटो में चेहरा ही मुस्करायेगा
समय के साथ वो भी शायद धुँधला जायेगा
याद करोगे तो बहुत सी ऐसी बाते आएगी
क्या था मैं तुम्हारी जिंदगी में चाहत बढ़ जायेगी
कल की दूरियों को जायज तुम न कह पाओगे
जब तुम भी अपनें ही खून पर खफा हो जाओगे
दस्तूर वक्त का है दोष तुम्हें भी नहीं दे पाऊँगा
थे तुम मेरा ही अंश, शायद ही अहसास दे पाऊँगा
जो चला गया वापस नहीं आता, सोच उदास रहोगे
फर्ज की दीवार पर टँगा फोटो देख नजर झुकाओगे
✍️ कमल भंसाली