Hindi Quote in Poem by किरन झा मिश्री

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🙏🏼रानी लक्ष्मीबाई 🙏🏼

आओ सुनाये एक वीर वाला की,
अद्भुत शौर्य की कहानी है।
जन्म जिसका हुआ देशभक्ति के लिए,
वह तो झांसी वाली रानी है।।

मनीकर्णिका नाम था बचपन का,
प्यार से मनु सब बुलाते थे।
सुंदरता की वह थी मूरत,
इस लिए छबीली भी कह जाते थे।।

बचपन से ही तीर तलवार चलाना,
उनका प्रिय खेलों में खेल होता था।
करती रहती थी अभ्यास हमेशा ही,
अस्त्र शस्त्र ही उनका खिलौना होता था।।

राजयोग जीवन में लिखा था,
इस लिए झांसी से विवाह प्रस्ताव आया था।
राजा गंगाधर की पत्नी होने का,
सम्मान उन्होंने पाया था।।

विवाह बाद झांसी में आने पर,
हाथो हाथ उन्हें लिया गया था।
महारानी के रूप में उनको,
लक्ष्मीबाई नाम उन्हें दिया गया था।।

हुई पुत्र रत्न की प्राप्ति उनको,
पर किस्मत ने जाने क्या खेल रचा था।
अकस्मात ही पुत्र की मृत्यु का,
शोक समाचार उन्हें मिला था।।

इस सदमे से निकली नहीं थी रानी,
दूसरा आघात कुछ समय पश्चात हुआ था।
राजा गंगाधर की मौत की खबर ने,
जैसे रानी के ऊपर प्राणाघात किया था।।

झांसी के इस सिंहासन को,
पता नहीं कोन अब संभाल पाएगा।
जनता के मन में यह प्रश्न उठता है,
कहीं राज्य अंग्रेजो को तो नहीं चला जायेगा।।

लिया रानी ने एक अहम फैसला,
दत्तक पुत्र उन्होंने गोद लिया था।
अपनी प्रजा की सुरक्षा के लिए,
सिंहासन पर बैठने का निर्णय लिया था।।

खबर हुई जब अंग्रेजो को,
गोद लिए पुत्र को अस्वीकार किया।
झांसी पर अब अधिकार होगा हमारा,
इस बात का अंग्रेजो ने प्रचार किया।।

रानी के सामने जब ये बात,
खुलकर सामने आई थी।
अपनी झांसी मैं किसी को नहीं दूंगी,
इस बात की ललकार लगाई थी।।

किया ऐलान रानी ने प्रजा से,
अंग्रेजो का गुलाम नहीं बनना है।
पुरुष हो या नारी शक्ति हो,
सभी को मिलकर झांसी के लिए लड़ना है।।

घोड़े पर सवार, हाथों में तलवार लिए,
रण भूमि में वह उतर गई।
लेकर रणचंडी का रूप वह,
अंग्रेजो से देखो भिड़ गईं थीं।।

हर हर महादेव का नारा लगाकर,
सैनिकों में जान फूंकती थी।
मां काली का रूप धरकर वह,
विध्वंस पर विध्वंस करती थी।।

रानी के अद्भुद शौर्य को देखकर,
अंग्रेज भी थर थर कांप गए थे।
रानी से मुंह की खाकर वह तो,
मुंह छुपाकर रणभूमि से भाग गए थे।।

पर कुछ लोगों की गद्दारी से,
झांसी पर अंग्रेजो का राज हो गया था।
रानी को फिर बचाने के लिए ही,
झलकारीबाई ने रानी का रूप रखा था।।

बांध कमर में अपने पुत्र को,
अंग्रेजो से वह भिड़ गईं थीं।
और अंग्रेजो से लड़ते हुए ही,
रानी बहुत घायल हो गई थी।।

अंग्रेजो का हाथ न लगे उन्हें,
इस लिए एक कुटिया में जा पहुंची।
स्वयं की चिता जलाकर के,
आत्मदाह वह कर गई थी।।

रानी की शौर्य गाथाओं के,
किस्से बहुत ही अचंभित करने वाले थे।
अंग्रेजो को लोहे के चने चब्बा दिए,
इस बात को अंग्रेजो भी मानने वाले थे।।

इस लिए ही तो उनके लिए कहा गया,
जो सारी दुनियां में विख्यात हुआ था।
खूब लड़ी मर्दानी थी वो,
जिसने अपना इतिहास लिखा था।।

उनके रण के अद्भुद शौर्य की,
गाथा उन्हें बनानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो,
झांसी बाली रानी थी।।

किरन झा मिश्री

-किरन झा मिश्री

Hindi Poem by किरन झा मिश्री : 111813215
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