विषय - आदत
दिनांक -15/06/2022
वो पहली मुलाकात तुमसे,
आज भी हमको याद आती है।
दिल धड़का था जोरों से,
और सांसे भी बढ़ जाती हैं।।
जब मिले थे किसी रेस्त्रां में,
टकराकर गेट पर मुलाकात हुई थी।
थोड़ी तुमने और थोड़ी हमने कहकर,
कुछ कहा सुनी वाली बात हुई थी।।
क्या पता था वो यहां का मालिक है,
हमनें भी उन्हें खूब सुनाया।
मेरी कड़वी बातें भी सुनकर वो,
बस धीरे से मंद- मंद मुस्काया।।
सुनता रहा मेरी हर बात को वो,
फिर उसने अपने स्टाफ को बुलाया।
बोला मैडम का ख्याल रखना,
इनको शायद मैंने है सताया।।
सुनकर उनकी ये सारी बातें,
दिल उनकी ओर खिंचने लगा था।
उनके मन में भी शायद अब,
कुछ- कुछ सा होने लगा था।।
हम दोनों एक दूसरे को देखने की खातिर,
हर रोज ही रेस्ट्रॉन में जाने लगे थे।
एक दूसरे की आदत को हम,
बखूबी ही अब पहचानने लगे थे।।
उनको मेरी और मुझे उनकी,
देखने की आदत हो गई थी।
एक ही समय पर दोनों आते थे,
और मिलने की चाहत बढ़ गई थी।।
एक दूसरे को देखे बिना,
हम दोनों का दिन नहीं गुजरता था।
वो मेरी और मैं उनकी आदत बन गए,
ऐसा हम दोनों को लगता था।।
इसी आदत के चलते ही,
हम दोनों ने प्रेम का इजहार किया।
मैं और वो आज बहुत खुश हैं,
क्योंकि हम दोनों ने प्यार किया।।
किरन झा (मिश्री)
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री