Hindi Quote in Poem by किरन झा मिश्री

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विषय- उतरन
दिनांक- 12/06/2022

नहीं चाहिए मुझे किसी की उतरन,
खुद कमा के मैं अपना निर्वाह करूंगी।
दर दर नहीं भटकना है मुझको,
और न ही किसी का एहसान रखूंगी।।

जितना दिया है ईश्वर ने मुझको,
हँसी खुशी से उसे स्वीकारा है।
कम हो या ज्यादा हो कुछ भी,
प्रसन्नता से उसे अपनाया है।।

जीवन के उन कठिन पलों में,
जब अपनों का साथ छूट जाता है।
एक क्षण को ऐसा लगता है कि,
सम्पूर्ण अस्तित्व ही खत्म हो जाता है।।

पर उन कमजोर पलों में हमको,
हिम्मत कभी नहीं हारना है।
एक जुट करके अपने आप को,
अपने मनोभावों को साधना है।।

अपनी कमजोरी किसी को न बताकर,
खुद ही हिम्मत को जुटाना है।
नई शक्ति के साथ खड़े होकर,
कर्तव्यों को अपने निभाना है।।

दया भाव हर इंसान दिखाकर,
झूठी सहानुभूति दिखाता है।
अपनी छोड़ी हुई उतरन को,
बड़े ही प्रेम से दे जाता है।।

पर अब नहीं,यह बहुत हुआ,
सब अपनी उतरन अपने पास रखो।
हाथ पैर सलामत रखे हैं प्रभु ने,
मेहनत करके लेंगे,बस यही बात कहो।।


किरन झा मिश्री

-किरन झा मिश्री

Hindi Poem by किरन झा मिश्री : 111811818
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