सुप्रभात।
क्षण भंगुर यह जीवन,
सुख पावे, गर जाने मन...
रात गयी फिर प्रात गयी!
बीती दिवस, क्या बात भयी....
औंधे पड़ा रहा मन दर्पण,
ना ही दिखी, न खुली न मिली।।
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Collaborating with YourQuote Didi

Hindi Shayri by सनातनी_जितेंद्र मन : 111809176

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