वो बरसात
वो मुलाकात
छत से टपकती बूंदें
उन बूंदों के पीछे
खिड़की की चौखट से
झांकती दो जोड़ी आंखे..
जो निहारती रहती यदा कदा मुझे
कभी नजरें चुराती
कभी पलकें झुकाती
जो नजरें मिलती
हया से ..
गाल हो जाते गुलाबी
उफ्फ वो बरसात शराबी..
होता मैं मदहोश,
उन नजरों का जाम चख कर..
---- सुनिल #शांडिल्य