यह कैसी अनंत चुप्पी है ?यह कैसा सन्नाटा हम दोनों के बीच पसरा है ?खामोशियों का यह कैसा आलम है कि साँसों की भी आवाज आ रही है। तुम रोज कहते थे कि तुम बस मुस्कुराती रहा करो।एक दिन संकोच करते हुए मैंने भी कह डाला कि मुस्कुराने की कोई वजह भी तो बता दो ।बस तब से तुम अपने पुरुष दंभ से पीड़ित हो और मैं तुम्हारे दंभ से डरी हुई हूं। दोनों की दुनिया अपनी हो गई ।तुम चाह कर भी अपने दंभ के कारण पलट नहीं रहे हो और मैं संकोच और डर से त्रस्त तुमसे दूर बैठी हूँ ।यह कैसा सन्नाटा हम दोनों के बीच पसरा है।