*वृक्ष, पत्ते, जड़ें, फल, शाख*
1 वृक्ष
वृक्ष उजड़ते जा रहे, मौसम बदले रूप।
कांकरीट की राह ने, खोया रूप अनूप।।
2 पत्ते
शाखों से पत्ते झरे, नव पल्लव का शोर।
झूम उठी पुरवाइयाँ, बदलेगा हर छोर।।
3 जड़ें
पीपल बरगद की जड़ें, देतीं जीवन दान।
संकट कभी न छा सके, जीते सीना तान।।
4 फल
पर्यावरण सुधारते, वृक्ष जगत के हार।
फल-छाया देते सदा, मानव पर उपकार।।
5 शाख
पंछी बैठें शाख पर, दिन भर करें किलोल।
करें रात विश्राम फिर, उनका घर अनमोल।।
उल्लू बैठे शाख पर,उजड़ गया उद्यान।
कोयल भूली गायकी, कौओं की अब शान।।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "
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