मां तुम मुझे छोड़कर
जाने कहां चली गई
तू होती जो मेरे पास
तेरी गोदी में सिर रख रो लेती
जो कहीं ना कह सकूं
शायद वो तुझसे कह पाती
कुछ कमी नहीं है
मगर कुछ अधूरा सा है
दिल के किसी कोने में
कुछ सूना सूना सा है
ले ले मुझे अपने आंचल में
कि तुझमें खो जाऊंगी मैं
सुकून मिल जाए
ऐसी नींद में सो जाऊंगी मैं
-अनुभूति अनिता पाठक