गज़ब का हुनर है मेरे यार का मेरे दर्द में वो रो देता है,
बेइज़त वो खुद करता है दूसरे के करने पर लड़ लेता है।
चुपके से तकलीफे पता नहीं कैसे जान लेता है,
खत्म कर हर तकलीफे जैसे कुछ ना हुआ बता देता है।
खोने के डर से मुझे कही और जाने नही देता है,
रेहता है साया जैसे अंधेरे में वो मुजमे समा लेता है।
अपने जब मेरा साथ छोड़े वो खुद की पनाह देता है,
अनोखी है यारी मेरी बिछड़ ने के बाद हर पल याद दिला देता है।
-Andaz e Abhi