विषय- हास्य-व्यंग्य काव्य / बेवकूफ गधे
हम तेरे प्यार में बेवकूफ गधे
रेंक..रेंक..कर दिन भूनेंगे
झूक.. झूककर सलाम भरेंगे
मर मरकर सांस निकालेंगे
जी जीकर पूंछ मुंडवाएंगें
हंस हंसकर जी हजूरी पढ़ेंगें ।
हम तेरे प्यार में बेवकूफ गधे
रखकर हुक्म सर बालों पर
दिहाड़ी मजदूरी से गंजे बनेंगे
खून-पसीने से नंगें चलेंगे
लात-घूंसे-झापड़ से बिमार पड़ेंगे
हट्टे-कट्टे डन्डे भी बदन से तोड़ेंगे ।
हम तेरे प्यार में बेवकूफ गधे
शौक़ शौरहत से बारात में कूदेंगे
गली-मुहल्ले से महारानी चुराएंगे
पीठ पर बिठाकर शेर कराएंगें
अल्हड़-उज्जड़ ताने-बाने खायेंगे
ठाठ-बाट से हंसेंगे-रोएंगे-नाचेंगे ।
हम तेरे प्यार में बेवकूफ गधे
घिस घिसकर बर्तन गंदा करेंगे
आटा गूंथ-गूंथकर रोटी जलाएंगे
सांझ सवेरे खूब कपड़े फाड़ेंगे
झाड़ू-पोछा से मकान बिगाड़ेंगे
मेकअप से चेहरा भूत बनाएंगे ।
-© शेखर खराड़ी
तिथि-२/५/२०२२, मई