विषय-आदत
दिनांक-1/05/2022
तुम्हें कैसे भुला दूँगी मैं,
तुम मेरी चाहत बन गए हो।
सुबह उठने से रात तक देखने की,
तुम मेरी आदत बन गए हो।।
कभी नहीं भूल पाऊँगी मैं तुमको,
इस बात को तुम हमेशा याद रख लेना।
तेरा प्यार हर नस-नस में हैं,
इसको तुम अब महसूस कर लेना।।
जब तक थे तुम गैर मेरे लिए,
तब तक दिल में कुछ नहीं होता था।
अब बन गए हो अपने से तुम,
इस लिए तेरे जाने पर ये रोता था।।
क्यों तुमने मेरी हर आदतों को,
अपनी आदतों से मिला डाला था।
मेरी हर एक अदा पर तो तुमने,
अपना प्यार लुटा डाला था।।
अब लत लग गई जो तुम्हारी,
तुम जाने की अब बोल रहे हो।
मेरे प्यार को शायद अब तुम,
अपने आप से तौल रहे हो।।
जाना ही था तुमको हमसें दूर तो,
इतने करीब हमें लाये ही क्यों थे।
तुम मेरी जब आदत बन गये हो,
तो ये आदत तुम मेरी बनाये ही क्यों थे।।
अब तुम्हारे बिन एक पल भी,
रहना मेरा मुश्किल हो जायेगा।
आदत जो मेरी बन चुके हो तुम,
शायद मेरी मौत के साथ ही जायेगा।।
किरन झा (मिश्री)
ग्वालियर मध्यप्रदेश
-किरन झा मिश्री