चांद की आंखों में,
हमनें वो नमीं देखी है।
सेज सजाये हुए बैठी,
अपनी सरजमीं देखी है।।
यूँ तो हरकतें बेपरवाही,
की करते हैं हम भी।
परवाह चांद की हरइक,
कलाओं में हमने देखी है।।
#दर्पणकासच
#दर्द_छलक_जाता_है
#सनातनी_जितेंद्र मन
#रातकाअफ़साना #collab #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi

Hindi Shayri by सनातनी_जितेंद्र मन : 111801209

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now