शीर्षक: क्या करोगे
क्या करोगे मेरा हाल जानकर
मरहम तो लगाओगे नहीं समझकर
एक जख्म और दोगे बना के गुनाहगार
लोग कहते तुम आदमी हो ज्यादा समझदार
समझ ही तो एक सवाल है ?
हकीकत में असली यही बवाल है
कौन पानी में डूब रहा, कौन तैर रहा है ?
हर एक का सिर्फ एक ही ख्याल है
किसको, क्या समझना जरूरी है ?
समझों तो स्वयं को, बाकी आकार है
अस्तित्व की रेखाओं को धूमिल होना है
जन्म में ही मृत्यु को ढूंढना ही असली खेल है
दो साँस का जीवन-दान, खेल-खिलाने वाला महान है
आदमी से आदमी परेशां, कौन देवता कौन शैतान है ?
मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो, कर्मों का मुझे भी ख्याल है
क्या हो ? जरा गौर करो, आगे तुम्हारा भी कोई जहान है
✍️कमल भंसाली