तुझे अच्छा या बुरा अपनाने की
तेरे संग ज़िंदगी बिताने की
मैंने ग़लती की थी...
बारिश की बूँदों में
तेरे इश्क़ को अपनाने की
तुझे बुरे से अच्छा बनाने की
मैंने ग़लती की थी...
तेरे इश्क़ के ग़लत तरीक़ों को
तेरे प्यार में झूठे वादों को
सही मान कर
मैंने ग़लती की थी...
तेरे लिए तुझसे लड़ कर
सारी दुनिया को तुझे अच्छा बताकर
ख़ुद का तमाशा बनवा कर
हाँ, सही सुना...
मैंने ग़लती की थी...
तुझे प्यार करके
तुझ पर भरोसा करके
तेरे लिए मन्नतें माँग कर
और तुझे सारी दुनिया से छुपा कर
मैंने ग़लती की थी...
-स्मृति