वो जो लम्हें बीत गये,
लौट के फिर ना आयेगा।
हरियाली मिटि मन कोनों से,
कितने ही ऋतु-बसंत गये।।
पाखंडी गये,साधु-संत गये,
चूका अवसर,पछतायेगा।
जो छ्पी कहानी पन्नों पर,
कोई मेट कभी ना पायेगा।।
#सनातनी_जितेंद्र मन
एक ख़ूबसूरत #collab Rest Zone की ओर से।
#जोलम्हेबीतगए #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi

Hindi Poem by सनातनी_जितेंद्र मन : 111794626

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