मैं और मेरे अह्सास
गालों पर सुर्खी दिखाईं दे रहीं हैं l
आखों मे हया दिखाईं दे रहीं हैं ll
साथ साथ जीयेंगे और मरेगे l
वादों मे वफ़ा दिखाईं दे रहीं हैं ll
साँझ ढले अकेले मुस्कराते हैं l
यादों में अदा दिखाईं दे रहीं हैं ll
एक एक पल खुशियों से भर गये l
साँसों में साँसें दिखाईं दे रहीं हैं ll
फ़िज़ाओं में गुनगुनाए थे नग्मे l
गानों में रात दिखाईं दे रहीं हैं ll
२२-३-२०२२
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह