मैं और मेरे अह्सास
बात दिल की हम बताकर चले जाएगे l
तेरी सुनी महफिल सजाकर चले जाएगे ll
सफ़र के लिए तैयार है कारवाँ सखी l
जान फ़िर तुम पर लुटाकर चले जाएगे ll
किसी की खुशी के लिए जी लेगे हम l
आज रूठे हुए को मनाकर चले जाएगे ll
२१-३-२०२२
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह