मैं और मेरे अह्सास
आज मेरे छत पे आई है चिड़िया l
ख़ुशी के गीत गुनाती है चिड़िया ll
उसे देख जी खुश उठा है मेरा l
ची ची ची सुनाती हैं चिड़िया ll
खुले आसमान में उड़ती रहती है l
आकर फ़िर दाना खाती हैं चिड़िया ll
वन उपवन घूमती यही कहीं l
कहा से कहा जाती हैं चिड़िया ll
दिन के उजाले में खाना बटोरे l
पल भर चैन न पाती हैं चिड़िया ll
१८-३-२०२२
सखी दर्शिता बाबूभाई शाह