*होली के दोहे सृजन हेतु शब्द--*
*बरजोरी, चूनर, अँगिया, रसिया, गुलाल, बरसे, होलिका, होली, बाँह, छैला,महान*
1बरजोरी
बरजोरी हैं कर रहे, ग्वाल-बाल प्रिय संग।
श्याम लला भी मल रहे, गालों पर हैं रंग।।
2 चूनर
चूनर भीगी रंग से, कान्हा से तकरार।
राधा भी करने लगीं, रंगों की बौछार।
3 अँगिया
फागुन का सुन आगमन, होती अँगिया तंग।
उठी हिलोरें प्रेम की, चारों ओर उमंग।।
4 रसिया
रसिया ने फिर छेड़ दी, ढपली लेकर तान।
ब्रज में होरी जल गई, गले मिले वृजभान।।
5 गुलाल
रंगों की बरसात हो, माथे लगा गुलाल।
मिले गले फिर हैं सभी, करने लगे धमाल।।
6 बरसे
गाँवों की चौपाल में, बरसे है रस-रंग।
बारे-बूढ़े झूमकर, करते सबको दंग।।
7 होलिका
जली होलिका रात में, हुआ तमस का अंत।
अपनी संस्कृति को बचा, बने जगत के कंत।।
8 होली
कवियों की होली हुई, चले व्यंग्य के बाण।
हास और परिहास सुन, मिला गमों से त्राण।।
9 बाँह
बाँह थाम कर चल पड़े, मोदी जी के साथ।
देश प्रगति पथ पर चले, बढ़े सभी के हाथ।।
10 छैला
छैला बनकर घूमते, गाँव-गली में यार।
बनें मुसीबत हर घड़ी, कैसे हो उद्धार।।
11 महान
हाथ जोड़कर कह रहा, भारत देश महान।
शांति और सद्भावना, से मानव कल्यान।।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "
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