मैं और मेरे अह्सास
जिंदगी में खुबियाँ बहुत है l
चहरे पे सुर्खियाँ बहुत है ll
मिलन की तपिश बढ़ने से l
प्यार में बेचैनियाँ बहुत है ll
चैन से जीने भी नहीं देते l
यहाँ रुसवाईयाँ बहुत है ll
जहां में करोड़ों लोग फ़िर भी l
भीड़ में तनहाइयाँ बहुत है ll
एक नज़र देखने के लिए दिल में l
अजीब सी बेताबियाँ बहुत है ll
सखी दर्शिता बाबूभाई शाह