सुकून
---------
जिंदगी यूँ रफ्तार से भागी जा रही है पर सुकून कहाँ
पा लिया जो थोड़ा-सा आराम मन को सुकून कहाँ?
चकाचौंध से भरी ये दुनिया सारी ही अपनी लगे
हँसते ,गाते मिलते सभी पर फिर भी सुकून कहाँ ?
ख्वाबों में देखा है अक्सर खुद को चैन से बैठे हुए
हकीकत की दुनिया में जब रखे कदम सुकून कहाँ?
मंजिल की तमन्ना करते हैं अक्सर सभी लोग
पहुँच भी गए मंजिल तक मगर सुकून कहाँ ?
माया की नगरी है यह जग सारा सबको खबर
हताश ,दुखी ,बेचैन घूमा किए सभी सुकून कहाँ?
खुशी की तलाश में चल पड़ते हैं कदम मंदिर की ओर
दर्शन कर भी लिए दुआएँ भी माँगी पर सुकून कहाँ?
आभा दवे
मुंबई