*दोहा सृजन हेतु शब्द--*
*गृहस्थी,नारी,सुंदरता,कोमलता,पतिव्रता*
1 गृहस्थी
सुखद गृहस्थी में सदा, प्रेम शांति का वास ।
हिल मिलकर रहते सभी, कटुता का हो नास।।
2 नारी
नारी का सम्मान हो, सिखलाता हर धर्म।
जहाँ उपेक्षित हो रहीं, समझ न पाए मर्म ।।
3 सुंदरता
सुंदरता की चाह में, गवाँ दिया सुख चैन।
कोयल जैसी कूक को, तरस गईं फिर रैन ।।
सुंदरता को देखकर , वंचित अमरित-घोल।
कोयल-कागा एक से, बिगड़े मुख से बोल।।
4 कोमलता
मन कोमलता से भरा, जीवन में रस रंग।
प्रेम कलश छलके सदा, लगते मादक अंग।।
5 पतिव्रता
पतिव्रता परिकल्पना, प्रेम समर्पण भाव।
आपस की सद्भावना, चले नदी में नाव।।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "
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