भगवान ने भी सौ गलतियों पर सुदर्शन उठाया था,
में तो फिर भी इंसान हु,
सब्र का इतना भी इम्तहान मत लो मेरा,
जब टूटेगा तो कयामत होगी।
फिर न मुझे किसकी परवाह होगी ,और नाही मेरी कोई मजबूरी याद होगी।
तब तुमको याद आयेगी तुम्हारी गलतियां,पर वक्त के इंसाफ में जरा सी भी चूक न होगी।
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