स्त्री का
त्याग, समर्पण
किसने देखा,
किसने पूछा ?
उत्सुकता, सांत्वना से
गहराई पूर्वक समझकर ,
अनेक उपकारों की
विपुल धनी है वो
हृदय देती है प्रेमी को ,
देह सौंपती है पति को
सारा वक़्त खर्च किया
संतानों के लिए ।
क्षणभर...
फुर्सत कहां मिलीं ?
दहलीज के अंदर
व्यस्त है रात-दिन
गृहस्थ...
कार्यभार संभालने
दुःख, पीड़ा पीकर ,
सुंदर सपनें जलाकर
भावना देती है संबंधों को ,
विश्वास देती है अपनों को
जिल्लत भरे व्यवहारों में
रोज मरती है, रोज जीती है
कर्तव्य निष्ठ..,
घर की दीवारों में रह जाता
सारा जीवन सिमटकर ।
-© शेखर खराड़ी
तिथि- ८/३/२०२२, मार्च
" विश्व महिला दिवस " पर सभी महिलाओं के अदम्य साहस, पराक्रम, सम्मान, सुरक्षा, संघर्ष, सहभागिता और सशक्तिकरण, आत्मनिर्भर के साथ असंख्य दुःख, तकलीफों को हृदय से सलाम या सेल्यूट करता हूं ।💐💐🙏🙏