मैं धैर्यवान धरित्री,
मैं ब्रह्म वादिनी गार्गी,
मैंने याज्ञवल्क्य को हराया,
हां, मैं आर्यावर्त की नारी।
मैं सती पार्वती, अनसूया,
मैंने दानवों का दमन किया,
सत्यवान की सावित्री,
मैंने यमराज को जीता,
हां, मैं आर्यावर्त की नारी।
मैं कमजोर नहीं,
फिर भी कमल सी,
मैं शीतल चन्दन सी,
फिर भी मैं अंगार हूॅ,
मैं पथ्थर नहीं,
फिर भी चट्टान हूॅ,
अगर ठान लू,
आसमां भी छू लू,
हां, मैं आर्यावर्त की नारी।
मैं नारायण की ममता,
मैं पुरुषोत्तम की लक्ष्मी,
मैं ही शिव की अन्नपूर्णा,
मैं सृष्टि की विधाता,'गीता'
हां, मैं आर्यावर्त की नारी।
स्वरचित डॉ दमयंती भट्ट।
✍️...© drdhbhatt...
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