हमने तय किया था एक अलग मुकाम बनाएंगे,
तुमने तो अलग मकां ही बना लिया।
ख्वाबों का एक जहां बनाएंगे ,
तुमने न जाने कहां बना लिया।
था मेरा भी कुछ हिस्सा हर फैसले में,
तुमने तो उस हिस्से को ही भूला किस्सा बना लिया।
वादा किया जो साथ देने का हर पल हमें ,
वो न जाने तुमने किसे कर लिया।
तुम थे तपती धूप में दरख़्त की छांव से ,
पर पता नहीं वो दरख़्त कहां गया।
टूटा हुआ दिल लिए है फिरते सोचते हैं ,
न जाने क्यों रब्बा ने हमसे तुम्हें चुरा लिया।
सृष्टि तिवाड़ी
-srishti tiwari