हाहाकार, तबाही और आक्रमण...
आग़ाज़ हैं एक युद्ध के...
जिसे देखती है दुनिया...
एक भागीदार बनकर…!
आग़ाज़-ए-तबाही से शुरू हुआ ये युद्ध…
अपने अंत के साथ छोड़ जाती है…
एक विध्वंसक समाज…
और उसके तड़पते लोग…!
इस विनाशक युद्ध की कीमत है…
ज़मीन के एक टुकड़े के बदले…
लाखों लोगों की जान…
क्या ये आग़ाज़ हैं एक नए युग का…
या अंत…?
युद्ध : इक नए युग का आग़ाज़ या अंत....?
- नैना गुप्ता 'अंकिता'