“घडी दो घडी के है बादल ये काले
ये दिन तो हमेशा नहीं रहने वाले
सहे जा सितम आंसुओ को पाई जा
बुराई के बदले
ज़माना हांसे भूल ऐसी न करना
ये है बुज़दिली तेरा मरना
ये मत भूल तू बाप है और पति भी
तेरे साथ मासूम ज़िन्दगी भी
तेरे बाद दुनिया में क्या उनका होगा
कहाँ उनको जग में सहारा मिलेगा
उन्ही के लिए मुस्करा के जी जा
बुराई के बदले.”