विषय- सिंगल-विंगल
हम ठहरें..
सीधे साधे
हिंदी लेखक ,
साहित्य हमारी मासूका
गर्लफ्रेंड-बोयफ्रेंड के
चक्कर-वक्कर में
हम सिंगल-विंगल
काश... कोई ?
वन चान्स दें..
तो डबल-बवल
शिद्दत-विद्दत से
बेइंतहा चाहेंगे ,
ज़ी हजूंरी करते-वरते
कपड़े-वपडे़ सब
फैशनेबल पहनेंगे
जबरदस्त...
स्टाइलिश-बाइलिश
पैदल-बैदल निकलेंगे
इन पगलेट अंखियों पे
गोगल्स-बोगल्स लगाकर ,
नुक्कड़-गली-मुहल्ले में
ऐसा भौकाल मचाएंगे
चप्पल-बप्पल सब
घिस घिसकर तोड़ देंगे
तेरे पीछे घूम घूमकर ,
लव का फ्लावर्स-बल्वार्स लेकर
ऐसा जिद्दी-विद्दी लव लेटर लिखेंगे
फिलिंग्स की गठरी-बठरी देखकर ,
पोस्टमैन भी हक्का-बक्का रह जाएगा
क्योंकि हम न मिलेंगे-बिलेंगे
ट्विटर-एफबी-इन्टा पर
हम खोएं-बोएं मिलेंगे
पेड़, नदी, वनों में
रेडियो की मधुर की ध्वनियों में
भेड़ बकरियां चराने हुए ,
हरे-भरे खेत खलियानों में
मस्त मलंग बैरागी बनके
मुनि बुद्ध के विचारों में
स्नेह करुणा के प्रवाह में
साहित्य के दर्पण में ,
चलते-रूकते हुए
भटकते-बटकते हुए
भीड़-भाड़ से दूर
हृदय की अनुभूति में
पाठकों के मन-मस्तिष्क में
अल्फ़ाजो के तराजू में
शौक से बिकते हुए ,
यकिन से मिलते हुए
किताबों-विताबो में
पन्नों-वन्नों में ,
प्यार-व्यार से
गहरी रुझान से
मौज मस्ती से
अल्हड़ जुबां से
मुझे पढ़ लेना ,
मैं झटपट से
तेरे आस-पास
गिरता-संभलता हुआ ,
डूबता-तैरता हुआ
एहसास के समुंदर में
मिल जाऊंगा ।।
-© शेखर खराड़ी इड़रिया
तिथि-१०/२/२०२२, फेब्रुअरी