विषय-स्कूल की यादें
स्कूल वाले दिन भी मुझकों,
बार-बार ही याद आते हैं।
सखी-सहेलियों के साथ तो,
स्कूल जाकर हम बतियातें थे।।
प्रार्थना कर जब कक्षा में जाते थे,
अपने यथास्थान हम बैठ जाते थे।
सुनकर टीचर की आवाज को,
विद्यार्थी शांत हो जाते थे।।
चार घण्टों के बाद जब तो,
लंच की घण्टी बजती थी।
झटपट सबके बैग में से तो,
टिफिन और पानी की बोतल निकलती थी।।
सारे दोस्त जब साथ में मिलकर,
एक-दूसरे को अपना खाना खिलाते थे।
सारे अपनी-अपनी बातें बताकर,
एक-दूसरे का मन हर्षाते थे।।
आठ घण्टों के बाद जब तो,
छुट्टी की घण्टी बजती थी।
बैग बन्दकर अलविदा कहकर,
घर जाने की जल्दी पड़ती थी।।
सभी दोस्त एक-दूसरे को बाय कहकर,
विद्यालय से जब निकलते थे।
कल सुबह फिर से मिलेंगे,
यहीं बातें सभी किया करते थे।।
किरन झा (मिश्री)
-किरन झा मिश्री