मैं और मेरे अह्सास
तेरा ही खयाल था,और तुम आ गये l
तेरा ही जिक्र हुआ, और तुम आ गये ll
चंद देर ठंडी की तेज हवा क्या चली l
तेरा ही फिक्र हुआ, और तुम आ गये ll
सर्द मौसम में चाय की दुकान देखकर l
तेरी ही याद आई, और तुम आ गये ll
मुझे थरथराता देख साल पहनाई थी l
तेरा ही नाम आया, और तुम आ गये ll
खुशनुमा लम्हों की याद मे लिखे हुए l
तेरा ही ख़त आया, और तुम आ गये ll
२५-१-२०२२सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह