विषय-तेरा चेहरा
आँखें उनकी झील के जैसी,
जिसमें डूबने को जी करता है।
देख-देखकर उनकी तरफ तो,
उन पर मरने को दिल करता है।।
अधरों की मुस्कान तो देखो,
जैसे कुछ तो कहना चाहती हो।
उनके कोमल गुलाब की पंखुड़ियों को,
शायद वो तो छूना चाहती हो।।
देखकर उनके चेहरे के डिम्पल,
मन का मेरा यों मचल जाना।
जैसे किसी कातिल का मुझपर,
दिल पर छुरियां चला जाना।।
उसके सुंदर मुखड़े को देखकर,
दिल में तो कुछ-कुछ होता है।
वो पास में आ जायें मेरे तो,
दिल तो इसके लिए रोता है।।
इस जन्म में तो उनका मिलना,
सम्भव तो नहीं लगता है।
क्योकि वो किसी और की है,
ये भी तो हमकों देखना पड़ता है।।
अगले जन्म में तो हम उनका,
पहले से ही इंतजार करेंगे।
वो करेगी मेरा भी इंतजार,
इस बात का हम दोनो इकरार करेंगे।।
किरन झा(मिश्री)
-किरन झा मिश्री