मैं और मेरे अह्सास
वक़्त बदलता रहता है l
दिल मचलता रहता है ll
हुश्नण की महफिल मे l
जाम छलकता रहता है ll
मीठी यादों के खजाने में l
लम्हा धबकता रहता है ll
पिया से मिलन का समय l
रेत सा सरकता रहता है ll
खुद से भी छुपाया हुआ l
ख्वाब धड़कता रहता है ll
२२-१-२०२२ सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह