मैं और मेरे अह्सास
खुद को खुद के अरमान दुखी करते हैं l
फ़िर अपनों के फ़रमान दुखी करते हैं ll
अपने आप पे भरोसा होना चाहिए l
हद से ज्यादा गुमान दुखी करते हैं ll
किसीको धोखा नहीं देना चाहते पर l
मतलबी जहां मे इमान दुखी करते हैं ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह