मैं और मेरे अह्सास
रेत की तरह सरक गया साल l
लम्हो संग फिसल गया साल ll
दिल दहला लेने वाली जानलेवा l
महामारी से छलक गया साल ll
कुदरत का कहर यू छाया के l
डर के मारे बहक गया साल ll
चारो ओर सुनसान इन्सां की l
खुशीयो को तरस गया साल ll
सुनी सड़के, सुने शहरों को l
बेबस देख तड़प गया साल ll
१-१-२०२२ सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह