एक पैर तुम्हारा और एक मेरा रहेगा तो दहलीज के अंदर.
हमसे बिना मिले कैसे जा पाओगे दिसंबर.
पता नहीं लोग कैसे प्यार नहीं कर पाते जिंदगी भर में
घड़ी भर का इश्क भी तो चलता है उम्र भर .
मिलेंगे और अलविदा भी कहेंगे उसी पल
रात बारह बजे मिलेंगे जनवरी दिसंबर.
अलविदा दिसंबर.
-Jamila Khatun