Hindi Quote in Poem by shekhar kharadi Idriya

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तिरी महकती वादियों के संग ये अंखियां लड़ी है ।
तिरी गुजरती धूप के पास ये नज़र धुंधली पड़ी है ।।

तिरी बढ़ती बातें के संग ये असर कच्ची मिली है ।
तिरी ढ़लती यादों के पास ये उम्मीदें पक्की घुली है ।।

तिरी ठहरती रवा के संग ये बरकत सच्ची गढ़ी है ।
तिरी उमड़ती अदा के पास ये हसरत अभी अड़ी है ।।

तिरी टहलती वफ़ा के संग ये पाक दुआ कभी पढ़ीं है ।
तिरी उड़ती नज़रों के पास ये दिल-ए-ख़ाक जली है ।।

तिरी उतरती खफ़ा के संग ये नूर-ए-ज़मीर मिटी है ।
तिरी भागती उल्फत के पास ये दर्द-ए-इश्क़ जगी है ।।


- © शेखर खराड़ी
तिथि- २८/१२/२०२१

Hindi Poem by shekhar kharadi Idriya : 111773484
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