आंधियां हैं अंधेरा है न जुगनू कोई ,
अभी चलना है मंजिल बहुत दूर है ,
तुमसे मिलना अभी तो मुकम्मल नहीं ,
पर पता है मुझे, आज है.. कल नहीं ,
सारे लम्हों को खुल के मैं जी लूं जरा ,
नफ़रत का सारा ज़हर मैं पी लूं जरा ,
जिन्दगी तो बसर हो रही है मगर ,
कुछ आदतों से दिल ये मजबूर है ,
आंधियां हैं अंधेरा है न जुगनू कोई ,
अभी चलना है मंजिल बहुत दूर है ,
#PoetryOfSJT