तुम्हारी बातों की मैं तो हरदम,
गले की आवाज बन जाऊं।
तेरी हर रातों की तो मैं हरदम,
तेरा हर एक ख्बाब बन जाऊं।
तेरी धड़कनों की मैं तो हरदम,
हर एक सांस बन जाऊं।
तेरे हर सुरों की मैं तो हरदम,
लय और राग बन जाऊं।
तुम ढूंढ रहे हो जिसे भीड़ में,
मैं तेरी वो तलाश बन जाऊं।
पाना चाहते हो जिसे तुम दिलोजान से,
मैं तेरी वो ख्वाहिश बन जाऊं।
तुझे उस मंजिल पर पहुंचाने की,
मैं तो वो हमराही बन जाऊं।
किरन झा मिश्री
-किरन झा मिश्री