Hindi Quote in Poem by Darshita Babubhai Shah

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मैं और मेरे अह्सास

अब सह नहीं सकते तेरी ये नादानियाँ l
जान लें लेंगी एक दिन, ये शैतानियाँ ll

किसी भी तरह से बात अपनी मनाते हो l
आज से छोड़ दो करना ये मनमानियाँ ll

जो दिल में आता है बंध कर दो बोलना l
चुप कर लो, दो गज लम्बी ये जबानियाँ ll

बिना बात के मुँह फूलाए फिरती रहती हो l
कब तक रूठी रहोगी ओ दिलजानियाँ ll

हद से ज्यादा लाड़ पान अब न मिलेगा l
बहोत सह ली मैंने तेरी ये नादानियाँ ll

14.12.2021
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111771045
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