मैं और मेरे अह्सास
अब सह नहीं सकते तेरी ये नादानियाँ l
जान लें लेंगी एक दिन, ये शैतानियाँ ll
किसी भी तरह से बात अपनी मनाते हो l
आज से छोड़ दो करना ये मनमानियाँ ll
जो दिल में आता है बंध कर दो बोलना l
चुप कर लो, दो गज लम्बी ये जबानियाँ ll
बिना बात के मुँह फूलाए फिरती रहती हो l
कब तक रूठी रहोगी ओ दिलजानियाँ ll
हद से ज्यादा लाड़ पान अब न मिलेगा l
बहोत सह ली मैंने तेरी ये नादानियाँ ll
14.12.2021
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह