[12/14, 9:20 PM] Dr. Damyanti Bhatt: गीता जयंति की हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐💐🙏🙏🙏
संजय ने कहा,
करूणा से व्याप्त, अश्रुपूर्ण नयनों से,
अर्जुन ने श्री कृष्ण से कहा,
नहीं लड़ना चाहता मैं हे केशव! यह धर्मयुद्ध, आचार्य पिता मह,गुरु उनसे में कैसे लड़ु?जिन्होंने ही मुझे बाण चलना सिखाया कैसे यह महापातक करूं? इससे तो अच्छा है, मैं अपना जीवन भिक्षा में व्यतीत करूं।
नहीं लड़ना चाहता मैं।
ऐसा कहकर मौन हुआ जब अर्जुन ,
तब मुस्कुराए मधुसुधन!
तू बड़ा विद्वान हो गया बातें करने लगा शाण पनकी, बल्कि विद्वान पुरुष कभी शोक नहीं किया करते हैं, यह देहमें बचपन, युवानी ,जरा- मरण आया जाया करते हैं, जैसे सुख-दुख, शीत -गरमी आया जाया करते हैं,
वैसे जन्म मृत्यु का नित्यक्रम चलता रहता है, इसमें शॉक कैसा? तुम क्षत्रिय हो,युद्ध कर।
नहीं आत्मा का जन्म होता और
ना मृत्यु, जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को फेंक कर नयाधारण करता है वैसे शरीर पुराना त्याग कर, नया दे प्राप्त करता है, इसमें शोक कैसा? तुम क्षत्रिय हों, युद्ध कर!
नहीं आत्मा किसी से मरता है, नहीं जन्म पामता, नासमझ है वह लोग जो इसे नहीं मानते, यह आत्मा अविनाशी अजर अमर सनातन है,तुम क्षत्रिय हो,युद्ध कर।
सुख दुख ,लाभ -अ लाभ, जय पराजय, में
समत्व बुद्धि धारण करें और साधना अविरत करें फलश्रुति की अपेक्षा ना करें, उसको कर्म बंधन क्या नडे ?जो अपना सब कुछ मुझ को समर्पित करें, स्वयं समाधि में स्थिर रहे वही मेरी नजर में स्थित प्रज्ञ है,"गीता"
तुम क्षत्रिय हो,युद्ध कर।
✍️...© drdhbhatt