विषय-"बातोके गुलदस्ते"
कई लोग बातों के गुलदस्ते
बनाने में माहिर होते हैं,
अरे भाई! गुलदस्ता क्या?
बातों के पेड़ लगा देते हैं,
उसमें बातों के फूल भी खिलते हैं,
उसमें बातों के फल भी आते हैं,
कई लोग बातों के गुलदस्ते
बनाने में बड़े माहिर होते हैं।
बातों के खेत भी लगा देते हैं,
और बातों की फ़सल भी
अपने आप स्वयं काट लेते हैं,
जितनी चाहिए होती है उतनी,
कई लोग बातों के गुलदस्ते
बनाने में बड़े माहिर होते हैं।
बातों का बड़ा ढ़ेर लगा देते हैं, फिर आराम से उन पर बैठकर बातें करते हैं, घंटों निकल जाने के
बावजूद लेकिन कभी उसकी
बातें ख़त्म ही नहीं होती,
कई लोग बातों के गुलदस्ते
बनाने में बड़े माहिर होते हैं।
बातें करने से पहले सोचते नहीं है
समझते नहीं है, फिर थकान
महसूस नहीं करते,
कोई खास विषय की भी
ज़रूरत नहीं होती,
सिर्फ मौके की तलाश है,
भला ऐसे,
गुलदस्ते से क्या फायदा?
जिसमें मुस्कान ही न हो,
ना ही महक हो,न उपयोग हो,
कई लोग बातों के गुलदस्ते बनाने
में बड़ा माहिर होते हैं।