कभी कभी सवाल उठता रहता ,
वक्त बहोत था फिर भी दूरियां क्यूं थी ?
नजदीकी में न जाने अजीब सी हलचल दिखती ,
जितना भी कोशिश करते आहट थम जाने की सुनाई देती !
हर हाल से गुजरे मरने मिटने से न गभराते ,
फिर न जाने परिणाम उत्कृष्ट का चिह्न न बतलाती !
शायद कुदरत ने परिस्थिति कुछ यू जाहिर कर दी
हम दायरे में रहे और बात वही पर खत्म हुई !
- Urmi