ना जाने कौन सी होगी तुम्हारी आखरी साँस
के एक दिन न होगी ये ज़मीन तुम्हारी ना ये आकाश
बनके रह जाओगे तुम केवल एक लाश
खुल के जियो ज़िन्दगी मत करो काश
ज़िन्दगी तो है हुबहू जैसे ताश
जीना आ जाए तो हम बादशाह नहीं तो होगा नाश
खुल के जियो जिंदगी मत करो काश
जीने की वजह की ही तो करनी है तलाश
उसके मिलते ही हो जाएगा जीवन में प्रकाश
न रहेगी कोई आस न रहेगा कोई काश
क्यूंकि मिल जाएगा जवाब जिसकी थी तलाश
खुल के जियो जिंदगी मत करो काश।
-Monika~