" " न क्षमा करु खुद को मै कभी , जन्मी जिसमे इच्छा ये थी , अपराधी हूँ अपराध किया हर क्षण जो तुझको याद किया , रहा नही मेरा जो कभी उससे ही फरियाद किया | विश्वास दिला छलती ही रही , आशाओं मे पलती ही रहीं , निकली न कभी उजियारे मे , डरती ही रही अँधियारे मे |" "
भावना
अंश से
-Ruchi Dixit